Monday, 27 October 2014

छठ-पर्व-की-पौराणिक-मान्यता

छठ पर्व छठ पर्व के संबंध में पौराणिक मान्यता के अनुसार छठ उत्सव के केंद्र में छठ व्रत है, जो एक कठिन तपस्या की तरह है। यह प्राय: मह‍िलाओं द्वारा किया जाता है किंतु कुछ पुरुष भी यह व्रत रखते हैं। 
 

 
 
व्रत रखने वाली महिला को परवैतिन भी कहा जाता है। चार दिनों के इस व्रत में व्रती को लगातार उपवास करना होता है। भोजन के साथ ही सुखद शैया का भी त्याग किया जाता है। 
 
छठ पर्व के लिए बनाए गए कमरे में व्रती द्वारा फर्श पर एक कंबल या चादर के सहारे ही रात बिताई जाती है। इस उत्सव में शामिल होने वाले लोग नए कपड़े पहनते हैं, पर व्रती बिना सिलाई किए कपड़े पहनते हैं। 
 
महिलाएं साड़ी और पुरुष धोती पहन कर छठ करते हैं। इस व्रत को शुरू करने के बाद छठ पर्व को सालोसाल तब तक करना होता है, जब तक कि अगली पीढ़ी की किसी विवाहिता महिला को इसके लिए तैयार न कर लिया जाए। 
 
घर में किसी की मृत्यु हो जाने पर यह पर्व नहीं मनाया जाता है। 
 
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